गोरखपुर से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है, जहां नकली पनीर बनाने वाले एक शातिर अपराधी को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी खालिद एक नकली पनीर फैक्ट्री चला रहा था, जहां वह खतरनाक रसायनों की मदद से रोज़ाना सैकड़ों किलो पनीर तैयार करता था। पुलिस के अनुसार, वह हर महीने लगभग 42 लाख रुपये की कमाई कर रहा था।
नकली पनीर कैसे बनता था? खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल
गोरखपुर में चल रही इस मिलावटी पनीर फैक्ट्री में पनीर दूध से नहीं, बल्कि खतरनाक केमिकल्स से बनाया जा रहा था। जिन रसायनों का उपयोग किया गया, वे निम्नलिखित हैं:
डिटर्जेंट (कपड़े धोने वाला पाउडर)
कपड़े सफेद करने वाला पदार्थ
पाम ऑयल
साबुन
पोस्टर रंग
सल्फ्यूरिक एसिड
इन सामग्रियों को मिलाकर यह मिलावटी पनीर बनाया जाता था। पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि सिर्फ 25 लीटर खराब दूध से 40 किलोग्राम तक नकली पनीर तैयार किया जाता था।
42 लाख रुपये प्रति माह: मिलावटी पनीर से मोटी कमाई
खालिद अपने इस गैरकानूनी कारोबार से हर महीने लगभग ₹42 लाख रुपये कमा रहा था। वह इस नकली पनीर को स्थानीय होटलों, ढाबों और सब्ज़ी मंडियों में सप्लाई करता था। सस्ता और भारी मुनाफा कमाने के लालच में उसने लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया।
यह एक छोटी मोटी दुकान का मामला नहीं था, बल्कि एक सुनियोजित और बड़े स्तर पर चलने वाला रैकेट था।
कहां बनता था नकली पनीर? गोरखपुर में छुपी ‘केमिकल फैक्ट्री’
खालिद ने नकली पनीर बनाने की फैक्ट्री एक कच्चे मकान में छुपाकर बनाई थी। पुलिस द्वारा छापेमारी में बड़ी मात्रा में रसायन, मशीनें, डिब्बे और पैकिंग का सामान बरामद हुआ। स्वास्थ्य विभाग के किसी भी मानक का पालन नहीं किया गया था।
उसने पनीर को असली दिखाने के लिए उसमें सफेद रंग और कृत्रिम खुशबू का इस्तेमाल किया ताकि ग्राहक धोखा खा जाएं।
सेहत पर असर: नकली पनीर खाने से हो सकती है जानलेवा बीमारी
नकली पनीर का सेवन आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक साबित हो सकता है। डॉक्टरों के अनुसार, इस तरह के रसायन लंबे समय तक सेवन करने से किडनी फेल, लिवर डैमेज, कैंसर, पेट की बीमारियां और फूड पॉयजनिंग जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
अगर आप पनीर में अजीब सी गंध, रंग, या रबर जैसा टेक्सचर महसूस करें, तो उसे तुरंत खाना बंद करें।
पुलिस की कार्रवाई और प्रशासन की चेतावनी
गोरखपुर पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए खालिद को गिरफ्तार कर लिया है और पूरी फैक्ट्री को सील कर दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है और फूड सेफ्टी एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई की जा रही है।
प्रशासन अब शहर में पनीर बेचने वाले सभी दुकानदारों की लाइसेंस और गुणवत्ता की जांच कर रहा है।
निष्कर्ष : खाने से पहले जागरूक बनें, सेहत से समझौता न करें
गोरखपुर में नकली पनीर बनाने का यह मामला हम सभी के लिए एक चेतावनी है। स्वाद और सस्ते दाम के लालच में आकर हम अपनी सेहत को खतरे में न डालें।
क्या करें?
पनीर सिर्फ ब्रांडेड या विश्वसनीय दुकानों से खरीदें
पनीर की गंध, रंग और टेक्सचर की जांच करें
कोई भी शक हो तो उसे तुरंत न खाएं और स्वास्थ्य विभाग को सूचना दें
घर के बच्चों और बुजुर्गों को मिलावटी चीज़ों से बचाएं
अब वक्त आ गया है कि हम सिर्फ “स्वाद” नहीं बल्कि “सुरक्षा” को भी प्राथमिकता दें। गोरखपुर नकली पनीर कांड से सबक लेते हुए, हर नागरिक को सजग रहना होगा।
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