बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार यूनुस ने हिंदू समुदाय को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं दीं। नेपाल के ललितपुर कृष्ण मंदिर में 1.4 किमी लंबी लाइन, वहीं पिछले वर्ष सत्ता परिवर्तन के बाद हिंदुओं पर हुए अत्याचारों की याद।
जन्माष्टमी पर यूनुस का संदेश
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार डॉ. मुहम्मद यूनुस ने इस वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर हिंदू समुदाय को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के आदर्श और शिक्षाएँ आज भी समाज को आपसी सद्भाव, भाईचारा और शांति की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। यूनुस ने अपने संदेश में स्पष्ट किया कि किसी भी राष्ट्र की मजबूती तभी संभव है जब वहां सभी समुदायों को समान सम्मान और स्वतंत्रता मिले।
उन्होंने जोर देते हुए कहा—
“श्रीकृष्ण के आदर्श हमें यह सिखाते हैं कि समाज में अन्याय और भेदभाव को मिटाकर प्रेम और करुणा को बढ़ावा देना ही सच्चा धर्म है। यह पर्व सभी नागरिकों के बीच भाईचारे की डोर को और मजबूत बनाएगा।”
नेपाल के ललितपुर कृष्ण मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब
नेपाल के ललितपुर स्थित ऐतिहासिक कृष्ण मंदिर में जन्माष्टमी के अवसर पर आस्था का अद्भुत नज़ारा देखने को मिला। यहाँ हजारों भक्तों ने भगवान कृष्ण के दर्शन के लिए सुबह से ही कतारें लगानी शुरू कर दीं। जानकारी के अनुसार मंदिर में भक्तों की लाइन लगभग 1.4 किलोमीटर लंबी देखी गई, जो इस पर्व की महत्ता और श्रद्धा को दर्शाती है।
भक्तजन सुबह से देर रात तक ‘हरे कृष्ण’ और ‘जय श्रीकृष्ण’ के भजन गाते हुए मंदिर परिसर में पहुंचे। नेपाल सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इस विशाल भीड़ को देखते हुए सुरक्षा और व्यवस्था के विशेष इंतजाम किए।
पिछले वर्ष सत्ता परिवर्तन और हिंदुओं पर हमले
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय का एक लंबा इतिहास है। लेकिन पिछले वर्ष नई सरकार के सत्ता में आने के बाद कई हिस्सों में हिंदुओं पर हमलों और उत्पीड़न की खबरें सामने आई थीं। मंदिरों पर हमले, घरों को जलाने और अल्पसंख्यक परिवारों पर दबाव बनाने जैसी घटनाओं ने समाज को झकझोर दिया था।
इन घटनाओं ने न केवल हिंदू समुदाय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता पैदा की। कई मानवाधिकार संगठनों ने इस स्थिति पर सवाल उठाए और बांग्लादेश सरकार से सुरक्षा और समान अधिकारों की गारंटी देने की अपील की।
यूनुस का संदेश क्यों है महत्वपूर्ण?
डॉ. यूनुस का जन्माष्टमी संदेश केवल एक औपचारिक शुभकामना नहीं माना जा रहा है। यह ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश के हिंदू समुदाय को सुरक्षा और सम्मान की सबसे अधिक आवश्यकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यूनुस का यह कदम समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है और इससे यह उम्मीद बंधती है कि सरकार अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और उनके धार्मिक अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में और अधिक गंभीर होगी।
श्रीकृष्ण के आदर्श: सद्भाव और न्याय का संदेश
श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में जो शिक्षा दी, वह आज भी प्रासंगिक है। गीता में उन्होंने कहा था कि धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश के लिए ही वह अवतरित होते हैं।
- सद्भाव का संदेश: कृष्ण ने सदैव सभी जाति और वर्ग को साथ लेकर चलने का आह्वान किया।
- न्याय और धर्म की रक्षा: महाभारत में उन्होंने अन्याय के खिलाफ खड़े होकर धर्म की रक्षा का उदाहरण दिया।
- भाईचारे की प्रेरणा: कृष्ण की लीला और उपदेश समाज में प्रेम, सहयोग और भाईचारे को बढ़ावा देने की प्रेरणा देते हैं।
नेपाल और बांग्लादेश की सांस्कृतिक कड़ी
यह भी उल्लेखनीय है कि नेपाल और बांग्लादेश दोनों ही देशों में जन्माष्टमी का पर्व पूरे उत्साह और आस्था से मनाया जाता है।
- नेपाल में कृष्ण मंदिर और मथुरा से जुड़ी परंपराएँ लोगों को भारतीय संस्कृति से जोड़ती हैं।
- वहीं बांग्लादेश में भी हिंदू समुदाय भव्य झांकियाँ और शोभायात्राएँ निकालकर जन्माष्टमी मनाता है।
यूनुस का यह संदेश दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक रिश्तों को और मजबूत करने का प्रतीक माना जा रहा है।
निष्कर्ष
जन्माष्टमी केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि यह समाज को समानता, सद्भाव और भाईचारे का संदेश देने का अवसर है। बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार यूनुस ने हिंदू समुदाय को शुभकामनाएँ देकर यह स्पष्ट संकेत दिया है कि सरकार अब अल्पसंख्यकों के प्रति सकारात्मक सोच रखती है।
नेपाल के ललितपुर कृष्ण मंदिर में लगी 1.4 किमी लंबी श्रद्धालुओं की कतार इस बात का प्रमाण है कि भगवान श्रीकृष्ण के प्रति आस्था और भक्ति सीमाओं से परे जाकर लोगों को जोड़ती है।
अगर सरकारें सच में श्रीकृष्ण के आदर्शों को अपनाएँ, तो निश्चित ही दक्षिण एशिया का समाज और अधिक मजबूत और शांतिपूर्ण बन सकता है।
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